
मोहम्मद यूसुफ खान जिसे पूरी दुनिया फिल्मी जगत का वह कोहिनूर समझती है जिसे हम और आप दिलीप कुमार के नाम से जानते हैं । हिंदी सिनेमा के जितने भी अदाकार हुए उनमें दिलीप कुमार सबसे ऊपर रहे ।दिलीप कुमार की अदाकारी को पूरे दुनिया वालों ने सराहा अपनाया और उन्हें मोहब्बत भी दी।
दिलीप कुमार वह पहले ऐसे अदाकार थे जिन्होंने एक्टिंग के जरिए लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई । अभिनेत्री और निर्माता देविका रानी ने पहली बार दिलीप कुमार को फिल्मी दुनिया में काम दिया । दिलीप कुमार की पहली फिल्म 1944 में आई थी जिसका नाम ज्वार भाटा था । दिलीप कुमार को ट्रेजेडी किंग के नाम से भी पहचाना जाता है शुरुआत के दौर में उन्होंने बहुत ही दुखदायक भूमिकाएं निभाई थी इसी वजह से यह नाम उनके साथ चिपक गया । शुरुआती दौर में ज्वार भाटा के बाद जुगनू ,मेला, अमर ,अंदाज, तराना, संगदिल, आरजू ,शबनम ,इंसानियत ,अंदाज़, यहूदी, आजाद, पैगाम ,दाग, कोहिनूर, नया दौर ,एक से बढ़कर एक फिल्म में उन्होंने काम किया और पूरी देशवासियों का मनोरंजन किया वह फिल्मों का दौर अलग था जहां पर उनका काम बिल्कुल कुदरती महसूस होता था ।

1960 के दशक में मुग़ल-ए-आज़म के आसिफ द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक फिल्म में शहजादा सलीम की भूमिका निभाने वाले दिलीप कुमार हिंदी फिल्म जगत में अपने अनोखी अदाकारी की अमिट छाप छोड़ने में कामयाब रहे। mughal-e-azam भारतीय फिल्म इतिहास में सबसे अधिक कमाई करने वाले फिल्मों में गिनी जाती है।दिलीप कुमार का नाम शुरुआती दौर में मधुबाला के साथ जोड़ा गया था मधुबाला से वह प्यार करते थे लेकिन कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए और इन दोनों के बीच में तकरार पैदा हो गई ,बहस बढ़ती गई ,खटास बढ़ती गई और इनका रिश्ता टूट गया खत्म हो गया। आगे चलकर उन्होंने कभी एक-दूसरे साथ काम नहीं किया। उसके बाद बहुत सारी अभिनेत्रियों के साथ इनका नाम जोड़ा गया लेकिन वह सारी अफवाह साबित हुई और आखिरकार 1966 में सायरा बानो के साथ दिलीप कुमार ने शादी की, उन दोनों के बीच में लगभग 22 साल का फर्क था फिर भी यह शादी कामयाब रही ।
उम्र के दूसरे पड़ाव में भी दिलीप कुमार ने अपने अभिनय का जलवा बिखेरा और लोगों के दिलों पर राज किया उनकी क्रांति, शक्ति, विधाता ,राम और श्याम ,इज्जतदार ,दुनिया ,मशाल, सौदागर ,मजदूर, धर्माधिकारी, यह फिल्में भी कामयाब रही।
दिलीप कुमार को लगभग 8 बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया उसके साथ साथ उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण, पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। 1995 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी दिलीप कुमार को सम्मानित किया गया उसके साथ साथ पाकिस्तान में दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशाने इम्तियाज से भी 1998 में दिलीप कुमार को नवाजा गया। ऐसे हर दिल अजीज दिलीप कुमार की मृत्यु लंबी बीमारी के चलते 7 जुलाई 2021 को 98 साल की उम्र में मुंबई में हुई।

